बुधवार, 6 फ़रवरी 2008

तलाश

आशिक हूँ, आशिकी का बहाना ढूँढता हूँ,
मर मिट जाने को इश्क का खुदा ढूँढता हूँ.
बीत गया जो कल किसी दिन,
वही ज़माना फिर से ढूँढता हूँ.
मोती हूँ सागर का , हर पल
बस किनारा ही ढूँढता हूँ.
आवाजों के बाजारों में
खामोशी का नज़राना ढूँढता हूँ.
जो खत्म न हो कभी
ऐसे सिलसिले का मुहाना ढूँढता हूँ.
सदा याद करे ये ज़माना ,
लिखने को ऐसा फ़साना ढूँढता हूँ.
तलाश है मेरी अभी अधूरी,
मेरे जैसा मिजाज आशिकाना ढूँढता हूँ.

4 टिप्‍पणियां:

अर्चना तिवारी ने कहा…
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अर्चना तिवारी ने कहा…

क्या बात है!!
शायर साहब आप तो मशहूर हो रहे हैं...... तलाश जरूर पूरी होगी...ऐसी तमन्ना है मेरी.

अर्चना तिवारी ने कहा…

kya aap ki talash abhi tak chal rahi hai??

Unknown ने कहा…

Mind blowing.............. aap jaise deewane ki talaash to duniya ko rehti hai janaab............ aapko jiski talaash hai woh bhi is duniya mein hi hogi jarooooooooor milegi. Have patience!!!!!!!!!!!!