बुधवार, 6 फ़रवरी 2008

तलाश

आशिक हूँ, आशिकी का बहाना ढूँढता हूँ,
मर मिट जाने को इश्क का खुदा ढूँढता हूँ.
बीत गया जो कल किसी दिन,
वही ज़माना फिर से ढूँढता हूँ.
मोती हूँ सागर का , हर पल
बस किनारा ही ढूँढता हूँ.
आवाजों के बाजारों में
खामोशी का नज़राना ढूँढता हूँ.
जो खत्म न हो कभी
ऐसे सिलसिले का मुहाना ढूँढता हूँ.
सदा याद करे ये ज़माना ,
लिखने को ऐसा फ़साना ढूँढता हूँ.
तलाश है मेरी अभी अधूरी,
मेरे जैसा मिजाज आशिकाना ढूँढता हूँ.

मंगलवार, 29 जनवरी 2008

पवन

मैं "एक बदनाम शायर" अब तक तो खुद के लिए ही लिखता आया था,
जो मुझमे था वही बस मैंने शब्दों में पिरोकर कागज़ पर उतार दिया.
अब मैंने कुछ कल्पना का सहारा लिया है,
आशा है आपको पसंद आएगा.
आपकी अनमोल टिप्पणियों के इंतज़ार में,
"एक बदनाम शायर"









धीरे-धीरे मंद-मंद चलती है पवन,
छूकर मुझे चली जाती है पवन.
सरगोशियों के एहसासों से भरी ये पवन,
देती है मुझको नित नए सपन.

चहचहाना चिडियों का, गुन्जाना भवरों का,
सब सुनती जाती है मदमस्त पवन.
दूर नील गगन में उड़ते पंछी कुछ छोटे कुछ बड़े,
कुछ काले कुछ नीले ओढे पंखो के दुशाले
जहाँ करते हैं विचरण , वो है मेरा वतन।

रूकती नहीं कहीं, चलती जाती है पवन,
देती संदेसा गतिमान होने का,
हर पल उन्नत बनने का,
गढ़ने का सफलता के नवकिर्तिमान.
देती मुझको जीवन ये पवन,
सबसे न्यारी सबसे प्यारी ये पवन.

गुरुवार, 17 जनवरी 2008

कभी ग़ज़ल कभी आयत

कभी ख्याल कभी उसे याद लिखा,
कभी होश में कभी बेहोशी में बार-बार लिखा.
कभी आंसू लिखा कभी शबनम लिखा,
उन जर्द पत्तों पे नाम मैंने उसका कई बार लिखा.

कभी पूजा लिखा कभी इबादत लिखा,
समंदर की सुनहरी रेत पर हाल-ए-दिल हर बार लिखा.
कभी ग़ज़ल कभी आयत उसे लिखा,
हर जुमला तेरी याद से सराबोर लिखा.

कभी हकीक़त कभी फ़साना लिखा,
उसकी अदाओं को हमने इक जमाना लिखा.
कभी बेवफा कभी बावफा लिखा,
बेरुखी को भी उसकी हमने हमेशा प्यार लिखा.

क्या यही मुहब्बत है

हमें आता न था आंसू बहाना,
ये तो हमारे दोस्तों की इनायत है.
न कोई गिला है उनसे हमें ,
न उनसे कोई शिकायत है.
उम्र सारी कटी आरजू में उनकी,
दीदार की रस्में ही अब हमारी इबादत है.
वो जरा तवज्जो करें तो
कह सुनाएँ हम हाल-ए-दिल अपना भी,
क्या इतनी सी हमें इजाज़त है.
ढलके थे कुछ अश्क भी मेरी आँखों से
पर जुबां में हरक़त न थी,
हमसे हिमाकत न हुई,
गोया क्या यही शराफत है.
खबर उनके आने की सुन
कफ़न में अब चैन कहाँ मुझको ,
कोई बतलाये क्या यही मुहब्बत है.