मंगलवार, 11 दिसंबर 2007

कोई उनसे कह दे

कोई उनसे कह दे के अब हमें याद ना आये,
शाम सबेरे हमारे ख्यालात में ना आयें.
रह लेंगे हम उनके बिना भी इस जहाँ में,
बस कुछ तोहफे अपनी वफ़ा के वो हमारे लिए छोड़ जाये.

मालूम था हमें वो कभी ना चाहेंगे हमको,
कोई गिला नहीं उनसे, न कोई शिकायत है.
बस इक बार लम्हों को थामकर देख लेते वो भी,
मेरी मुहब्बत के फूल पतझड़ में भी मुरझा न पाएंगे.

यू इस तरह अजनबी होकर वो चले जाते हैं,
हम कुछ साथ गुजरे पलों की यादों में खोते चले जाते हैं,
कोई उनसे कह दे अब हमें याद ना आयें,
बस उनकी यादों की दौलत लिए हम इस दुनिया से चले जाते हैं.

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

excellent!shayer saheb, laajabab hain apki shayeriyan. sach aaj ke jamane mein insaan pyar ka matlab bhi bhulte ja rahe hain. aapki shayeri to kisi patthar mein bhi feeling daal de.