रूख से पर्दा जब उसके सरक जायेगा,
आफताब भी उसका नूर देखकर शरमायेगा.
उसकी मासूम मुस्कुराहट देखकर,
पतझड़ में भी दरख्त फूल बरसायेगा.
उसके नज़र-ए-जाम को पीकर,
खुदा भी झूम झूम गायेगा.
उसके दामन की एक जुम्बिश से
बहारों का रूख मुड जायेगा.
देख कर उसके संगमरमरी बदन का जलवा,
महताब भी आसमा में कही छिप जायेगा.
सावन की काली घटा से भी स्याह हैं जुल्फें जिसकी,
छिपा के रखता हूँ ऐसी इक सूरत नज़रों से सबकी.
रूबरू नहीं हुआ कभी उससे,
पर मेरी सासों में है खुशबू उसकी.
यकी है मुझे इस कायनात पर खुदा की,
वो अप्सरा है कही आस-पास ही
ख्वाबो में रखता हूँ तसवीर जिसकी.
मंगलवार, 11 दिसंबर 2007
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2 टिप्पणियां:
it's awesome ,keep on it........
khoobsurti ki aisi paribhasha........... bahot pyari hai..............
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