गुरुवार, 17 जनवरी 2008

कभी ग़ज़ल कभी आयत

कभी ख्याल कभी उसे याद लिखा,
कभी होश में कभी बेहोशी में बार-बार लिखा.
कभी आंसू लिखा कभी शबनम लिखा,
उन जर्द पत्तों पे नाम मैंने उसका कई बार लिखा.

कभी पूजा लिखा कभी इबादत लिखा,
समंदर की सुनहरी रेत पर हाल-ए-दिल हर बार लिखा.
कभी ग़ज़ल कभी आयत उसे लिखा,
हर जुमला तेरी याद से सराबोर लिखा.

कभी हकीक़त कभी फ़साना लिखा,
उसकी अदाओं को हमने इक जमाना लिखा.
कभी बेवफा कभी बावफा लिखा,
बेरुखी को भी उसकी हमने हमेशा प्यार लिखा.

2 टिप्‍पणियां:

अर्चना तिवारी ने कहा…

अति सुंदर !रचनाएँ हैं. लिखते रहें.......

alpha geek ने कहा…

sahi hai yaar ...
mast likhta hai...