ना वो आये ना आया कोई पैगाम उनका,
तकते रहे ये सूने नयन उनकी डगर.
क्षितिज पर हो रहा धरा का गगन से मिलन,
घटा भी मंडरा रही आज पर्वत पर.
देखा था इक रात चाँद को सितारों से घिरा हुआ,
और देखी थी जगमगाती आसमानी चादर.
लहरों ने भी खूब मचाया था शोर.
पर आज सूनी पड़ी हैं गलियाँ सारी,
ना जाने वो कब आयंगे ,
कब खिलेगा खुशियों का संसार.
दिन गुज़रे महीने बने, बीत गए साल,
पर शेष रहा मेरा इंतजार.
चाँद भी ना आया आज दिल बहलाने को ,
बड़ी स्याह है आज की रात ,
तरसती रही अमावास की रात दीदार को चाँद के रात भर.
मंगलवार, 7 अप्रैल 2009
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12 टिप्पणियां:
ना जाने वो कब आयंगे ,
कब खिलेगा खुशियों का संसार.
दिन गुज़रे महीने बने, बीत गए साल,
पर शेष रहा मेरा इंतजार.
लाजवाब......खूब लिखा है
कहते हैं कि -
मत करो कोई वादा जिसको तुम निभा न सको।
मत करो उससे प्यार जिसको तुम पा न सको।
किसका प्यार यहाँ पूरा होता है।
प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
wah bhai wah! narayan narayan
दिल की बातें ....अच्छी लगी
kavitaye atyant sundar hen.....holi par likhi gayee kavita bhi shamil karen....
जनाब बहुत खूब लिखा है आपने..काफी दर्द है आपकी रचनाओं में...दुआ करती हूँ कि...
आया है पैगाम उनका आएँगे वो आज रात
करेंगे दीदार उनका मेरे ये चंचल नयन
होगा फिर धरा का गगन से
चाँद का सितारों से
घटा का पर्वतों से
लहरों का साहिल से मिलन
गूँज उठेंगी गलियां आज उनके कदमों की आहट से
ख़त्म होगा आज इन्तजार
फिर से आई वो पूनम की रात
मेरी शुभकामनाओं के साथ.......
ब्लॉग जगत में और चिठ्ठी चर्चा में आपका स्वागत है . आज आपके ब्लॉग की चर्चा समयचक्र में ..
ना जाने वो कब आयंगे ,
कब खिलेगा खुशियों का संसार.
दिन गुज़रे महीने बने, बीत गए साल,
पर शेष रहा मेरा इंतजार.
sunder abhivyakti.
wah! shayer saheb, apki taarif mein kuchh kehne ko shabd nahi mil rahe. meri shubhkamnayein aapke saath hain, raat chahe kitni bhi gehri kyun na ho suprabhat jaroor hoti hai. Regards, KASAK
amaavas ki raat ko chaand ke dedaar ki tamanna karna kahan ki samajhdaari hai ?
बहुत अच्छा लिखा है . मेरा भी साईट देखे और टिप्पणी दे
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